परमेश्वर के वचन के बारे में बाइबल की आयतें | Bible Verses About God’s word
August 1, 2025

बाइबल के अनुसार, परमेश्वर का वचन जीवित और प्रभावी है, और यह मनुष्य के हृदय और विचारों को भेद सकता है. यह आत्मा और मन को भी प्रभावित करता है, और यह मनुष्यों को उनके विश्वास में मजबूत करता है। परमेश्वर का वचन, जिसे बाइबल भी कहा जाता है, एक शक्तिशाली और जीवन बदलने वाला साधन है। यह हमें मार्गदर्शन, बुद्धि, सत्य और शक्ति प्रदान करता है। यह हमारे जीवन को बदल सकता है, हमें चुनौतियों का सामना करने और विजयी होने में मदद कर सकता है।
परमेश्वर के वचन के बारे में बाइबल की आयतें
इब्रानियों 4:12 – “क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव, और आत्मा को, और गांठ गांठ, और गूदे गूदे को अलग करके, वार पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है।”
2 तीमुथियुस 3:16-17 – “हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाए॥”
भजन संहिता 119:105 – “तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है।”
याकूब 1:22 – “परन्तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं।”
भजन संहिता 119:9 – “जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से।”
लूका 11:28 – “उसने कहा, “हाँ; परन्तु धन्य वे हैं जो परमेश्वर का वचन सुनते और मानते हैं।””
यशायाह 40:8 – “घास तो सूख जाती, और फूल मुर्झा जाता है; परन्तु हमारे परमेश्वर का वचन सदैव अटल रहेगा।”
भजन संहिता 18:30 – “परमेश्वर का मार्ग सिद्ध है; यहोवा का वचन ताया हुआ है; वह अपने सब शरणागतों की ढाल है।”
मत्ती 24:35 – “आकाश और पृथ्वी टल जाएंगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी।”
फिलिप्पियों 2:14-16 – “सब काम बिना कुड़कुड़ाए और बिना विवाद के किया करो। ताकि तुम निर्दोष और भोले होकर टेढ़े और हठीले लोगों के बीच परमेश्वर के निष्कलंक सन्तान बने रहो, (जिन के बीच में तुम जीवन का वचन लिए हुए जगत में जलते दीपकों की नाईं दिखाई देते हो)। कि मसीह के दिन मुझे घमण्ड करने का कारण हो, कि न मेरा दौड़ना और न मेरा परिश्रम करना व्यर्थ हुआ।”
भजन संहिता 119:130 – “तेरी बातों के खुलने से प्रकाश होता है; उससे भोले लोग समझ प्राप्त करते हैं।”
मत्ती 4:4 – “यीशु ने उत्तर दिया : “लिखा है, ‘मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है, जीवित रहेगा।’ ””
यूहन्ना 1:1 – “आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था।”
भजन संहिता 33:4 – “क्योंकि यहोवा का वचन सीधा है; और उसका सब काम सच्चाई से होता है।”
रोमियो 10:17 – “सो विश्वास सुनने से, और सुनना मसीह के वचन से होता है।”
भजन संहिता 56:4 – “परमेश्वर की सहायता से मैं उसके वचन की प्रशंसा करूंगा, परमेश्वर पर मैं ने भरोसा रखा है, मैं नहीं डरूंगा। कोई प्राणी मेरा क्या कर सकता है?”
यूहन्ना 8:31-32 – “तब यीशु ने उन यहूदियों से जिन्हों ने उन की प्रतीति की थी, कहा, यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे, तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे। और सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।”
भजन संहिता 119:114 – “तू मेरी आड़ और ढ़ाल है; मेरी आशा तेरे वचन पर है।”
यशायाह 55:11 – “उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैं ने उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा।”

याकूब 1:21 – “इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर करके, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है।”
व्यवस्थाविवरण 8:3 – “उसने तुझ को नम्र बनाया, और भूखा भी होने दिया, फिर वह मन्ना, जिसे न तू और न तेरे पुरखा ही जानते थे, वही तुझ को खिलाया; इसलिये कि वह तुझ को सिखाए कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं जीवित रहता, परन्तु जो जो वचन यहोवा के मुंह से निकलते हैं उन ही से वह जीवित रहता है।”
यूहन्ना 1:14 – “और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा।”
यूहन्ना 15:3 – “तुम तो उस वचन के कारण जो मैं ने तुम से कहा है, शुद्ध हो।”
नीतिवचन 30:5 – “ईश्वर का एक एक वचन ताया हुआ है; वह अपने शरणागतों की ढाल ठहरा है।”
इब्रानियों 1:3 – “वह उस की महिमा का प्रकाश, और उसके तत्व की छाप है, और सब वस्तुओं को अपनी सामर्थ के वचन से संभालता है: वह पापों को धोकर ऊंचे स्थानों पर महामहिमन के दाहिने जा बैठा।”
नीतिवचन 4:20 – “हे मेरे पुत्र मेरे वचन ध्यान धरके सुन, और अपना कान मेरी बातों पर लगा।”
कुलुस्सियों 3:16 – “मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ।”
2 शमूएल 22:31 – “ईश्वर की गति खरी है; यहोवा का वचन ताया हुआ है; वह अपने सब शरणागतों की ढाल है।”
भजन संहिता 119:11 – “मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूं।”
भजन संहिता 119:160 – “तेरा सारा वचन सत्य ही है; और तेरा एक एक धर्ममय नियम सदा काल तक अटल है॥”
भजन संहिता 130:5 – “मैं यहोवा की बाट जोहता हूं, मैं जी से उसकी बाट जोहता हूं, और मेरी आशा उसके वचन पर है;”
1 पतरस 1:23 – “क्योंकि तुम ने नाशवान् नहीं पर अविनाशी बीज से, परमेश्वर के जीवते और सदा ठहरनेवाले वचन के द्वारा नया जन्म पाया है।”
भजन संहिता 107:20 – “वह अपने वचन के द्वारा उन को चंगा करता और जिस गड़हे में वे पड़े हैं, उससे निकालता है।”
मत्ती 5:18 – “लोप करने नहीं, परन्तु पूरा करने आया हूं, क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूं, कि जब तक आकाश और पृथ्वी टल न जाएं, तब तक व्यवस्था से एक मात्रा या बिन्दु भी बिना पूरा हुए नहीं टलेगा।”
इफिसियों 6:17 – “और उद्धार का टोप, और आत्मा की तलवार जो परमेश्वर का वचन है, ले लो।”
निष्कर्ष:
बाइबल सिखाती है कि, परमेश्वर का वचन एक अनमोल खजाना है, जिसे हमें नियमित रूप से पढ़ना, अध्ययन करना और उस पर मनन करना चाहिए। यह हमारे जीवन को बेहतर बनाने और हमें परमेश्वर के करीब लाने में मदद करेगा.