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मत्ती अध्याय 5 प्रश्नोत्तरी प्रश्न और उत्तर | Matthew Chapter 5 Quiz Questions And Answers

उत्पत्ति अध्याय 24 प्रश्नोत्तरी प्रश्न और उत्तर

मेरे प्रिय भाई और बहनों, हमारी गुजारिश है कि आप बाईबल क्विज अटेंड करने से पहले एक बार इस चैप्टर का अध्ययन जरूर कर लें। बाईबल क्विज के माध्यम से हमारा उद्देश्य आपको परमेश्वर के वचन को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना है ताकि आप परमेश्वर और उसके ज्ञान को जान और समझ सके। हमारा पूर्ण विश्वास है कि आप निश्चित रूप से आशीषित होंगे। कृपया नीचे दिए गए फिनिश ऑप्शन पर क्लिक करने से पहले सभी प्रश्न अटेंड करना अनिवार्य है। हम आपको शुभकामनाएं देते हैं।

 

#1. मत्ती 05 अध्याय के अनुसार जो कोई इन छोटी से छोटी आज्ञाओं का पालन करेगा और उन्हें सिखाएगा, वह स्वर्ग से राज्य में क्या कहलाएगा ?

उत्तर का संदर्भ:- इसलिये जो कोई इन छोटी से छोटी आज्ञाओं में से किसी एक को तोड़े, और वैसा ही लोगों को सिखाए, वह स्वर्ग के राज्य में सब से छोटा कहलाएगा; परन्तु जो कोई उन का पालन करेगा और उन्हें सिखाएगा, वही स्वर्ग के राज्य में महान कहलाएगा। (मत्ती 05:19)

#2. यीशु ने अपने सिर की भी शपथ न खाने के लिये क्यों कहा ?

उत्तर का संदर्भ:- अपने सिर की भी शपथ न खाना क्योंकि तू एक बाल को भी न उजला, न काला कर सकता है। (मत्ती 05:36)

#3. यीशु ने कहा जब तक तू अपने मुद्दई के साथ मार्ग ही में है, उस से झटपट मेल मिलाप कर ले कहीं ऐसा न हो कि …………..।

उत्तर का संदर्भ:- जब तक तू अपने मुद्दई के साथ मार्ग ही में हैं, उस से झटपट मेल मिलाप कर ले कहीं ऐसा न हो कि मुद्दई तुझे हाकिम को सौंपे, और हाकिम तुझे सिपाही को सौंप दे और तू बन्दीगृह में डाल दिया जाए। (मत्ती 05:25)

#4. यीशु ने धरती की शपथ नहीं खाने के लिये क्यों कहा ?

उत्तर का संदर्भ:- न धरती की, क्योंकि वह उसके पांवों की चौकी है; न यरूशलेम की, क्योंकि वह महाराजा का नगर है। (मत्ती 05:35)

#5. जो धार्मिकता के कारण सताए जाते हैं, उनके लिये क्या आशीष है ?

उत्तर का संदर्भ:- धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के कारण सताए जाते हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। (मत्ती 05:10)

#6. जो नम्र हैं, उनके लिये क्या आशीष है ?

उत्तर का संदर्भ:- धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे। (मत्ती 05:05)

#7. यीशु ने स्वर्ग की शपथ नहीं खाने के लिये क्यों कहा ?

उत्तर का संदर्भ:- परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि कभी शपथ न खाना; न तो स्वर्ग की, क्योंकि वह परमेश्वर का सिंहासन है। (मत्ती 05:34)

#8. मत्ती 05 अध्याय के अनुसार तृप्त कौन किये जाएंगे ?

उत्तर का संदर्भ:- धन्य हैं वे जो धर्म के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किये जाएंगे। (मत्ती 05:06)

#9. यीशु ने कहा तुम जगत की ज्योति हो, जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह क्या नहीं हो सकता ?

उत्तर का संदर्भ:- तुम जगत की ज्योति हो; जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता। (मत्ती 05:14)

#10. यीशु ने अपने बैरियों के साथ कैसा व्यवहार करने के लिये कहा ?

उत्तर का संदर्भ:- परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो। (मत्ती 05:44)

#11. मत्ती 05 अध्याय में यीशु तुम्हारे क्या देखकर मनुष्य तुम्हारे पिता की जो स्वर्ग में है बड़ाई करें कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें॥ (मत्ती 05:16)

#12. इस वचन को पूरा करें – “इसलिये चाहिये कि तुम सिद्ध बनो, जैसा तुम्हारा ……… सिद्ध है।”

उत्तर का संदर्भ:- इसलिये चाहिये कि तुम सिद्ध बनो, जैसा तुम्हारा स्वर्गीय पिता सिद्ध है॥ (मत्ती 05:48)

#13. मत्ती 05 अध्याय के अनुसार जो कोई किसी स्त्री पर कृदृष्टि डाले तो वह अपने मन में कौन सा पाप कर चुका ?

उत्तर का संदर्भ:- परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि जो कोई किसी स्त्री पर कुदृष्टि डाले वह अपने मन में उस से व्यभिचार कर चुका। (मत्ती 05:28)

#14. जो शोक करते हैं उनके लिये क्या आशीष है ?

उत्तर का संदर्भ:- धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्योंकि वे शांति पाएंगे। (मत्ती 05:04)

#15. मत्ती 05 अध्याय में यीशु ने कहा कि जब मनुष्य मेरे कारण तुम्हारी निन्दा करें, और सताएं और झूठ बोल बोलकर तुम्हारे विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहे तो तुम क्या होना ?

उत्तर का संदर्भ:- धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण तुम्हारी निन्दा करें, और सताएं और झूठ बोल बोलकर तुम्हरो विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें। आनन्दित और मगन होना क्योंकि तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा फल है इसलिये कि उन्होंने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो तुम से पहिले थे इसी रीति से सताया था॥ (मत्ती 05:11-12)

#16. यीशु ने तुम्हारी धार्मिकता किसकी धार्मिकता से बढ़कर न हो, तो तुम स्वर्ग के राज्य में कभी प्रवेश करने न पाओगे कहा ?

उत्तर का संदर्भ:- क्योंकि मैं तुम से कहता हूं, कि यदि तुम्हारी धामिर्कता शास्त्रियों और फरीसियों की धामिर्कता से बढ़कर न हो, तो तुम स्वर्ग के राज्य में कभी प्रवेश करने न पाओगे॥ (मत्ती 05:20)

#17. यीशु ने कहा जो कोई अपने भाई को कहे ‘‘अरे मूर्ख’’ वह कहां के दण्ड के योग्य होगा ?

उत्तर का संदर्भ:- परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि जो कोई अपने भाई पर क्रोध करेगा, वह कचहरी में दण्ड के योग्य होगा: और जो कोई अपने भाई को निकम्मा कहेगा वह महासभा में दण्ड के योग्य होगा; और जो कोई कहे “अरे मूर्ख” वह नरक की आग के दण्ड के योग्य होगा। (मत्ती 05:22)

#18. यीशु ने कहा जो कोई अपने भाई को निकम्मा कहेगा वह कहां दण्ड के योग्य होगा ?

उत्तर का संदर्भ:- परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि जो कोई अपने भाई पर क्रोध करेगा, वह कचहरी में दण्ड के योग्य होगा: और जो कोई अपने भाई को निकम्मा कहेगा वह महासभा में दण्ड के योग्य होगा; और जो कोई कहे “अरे मूर्ख” वह नरक की आग के दण्ड के योग्य होगा। (मत्ती 05:22)

#19. मत्ती 05 अध्याय के अनुसार परमेश्वर के पुत्र कौन कहलाएंगे ?

उत्तर का संदर्भ:- धन्य हैं वे, जो मेल करवाने वाले हैं, क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे। (मत्ती 05:09)

#20. मत्ती 05 अध्याय के अनुसार किस पर दया की जायेगी ?

उत्तर का संदर्भ:- धन्य हैं वे, जो दयावन्त हैं, क्योंकि उन पर दया की जाएगी। (मत्ती 05:07)

#21. स्वर्ग के राज्य की आशीष किसके लिये है ?

उत्तर का संदर्भ:- धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। (मत्ती 05:03)

#22. यीशु ने तुम्हारी बात हां कि हां, या नहीं की नहीं क्यों होना चाहिये कहा ?

उत्तर का संदर्भ:- परन्तु तुम्हारी बात हां की हां, या नहीं की नहीं हो; क्योंकि जो कुछ इस से अधिक होता है वह बुराई से होता है॥ (मत्ती 05:37)

#23. मत्ती 05 अध्याय में यीशु कब तक व्यवस्था से एक मात्रा या बिन्दु भी बिना पूरा हुये नहीं टलेगा कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- लोप करने नहीं, परन्तु पूरा करने आया हूं, क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूं, कि जब तक आकाश और पृथ्वी टल न जाएं, तब तक व्यवस्था से एक मात्रा या बिन्दु भी बिना पूरा हुए नहीं टलेगा। (मत्ती 05:18)

#24. जिनके मन शुद्ध हैं उनके लिये क्या आशीष है ?

उत्तर का संदर्भ:- धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे। (मत्ती 05:08)

#25. यीशु ने यरूशलेम की शपथ न खाने के लिये क्यों कहा ?

उत्तर का संदर्भ:- न धरती की, क्योंकि वह उसके पांवों की चौकी है; न यरूशलेम की, क्योंकि वह महाराजा का नगर है। (मत्ती 05:35)

#26. मत्ती 05 अध्याय के अनुसार जो कोई इन छोटी से छोटी आज्ञाओं में से किसी एक को तोड़े, और वैसा ही लोगों को सिखाए, वह स्वर्ग से राज्य में क्या कहलाएगा ?

उत्तर का संदर्भ:- इसलिये जो कोई इन छोटी से छोटी आज्ञाओं में से किसी एक को तोड़े, और वैसा ही लोगों को सिखाए, वह स्वर्ग के राज्य में सब से छोटा कहलाएगा; परन्तु जो कोई उन का पालन करेगा और उन्हें सिखाएगा, वही स्वर्ग के राज्य में महान कहलाएगा। (मत्ती 05:19)

#27. यीशु ने कहा कि जो कोई अपनी पत्नी को व्यभिचार के सिवा किसी और कारण से छोड़ दे, तो वह उससे कौन सा पाप करवाता है ?

उत्तर का संदर्भ:- परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं कि जो कोई अपनी पत्नी को व्यभिचार के सिवा किसी और कारण से छोड़ दे, तो वह उस से व्यभिचार करवाता है; और जो कोई उस त्यागी हुई से ब्याह करे, वह व्यभिचार करता है॥ (मत्ती 05:32)

#28. मत्ती 05 अध्याय के अनुसार यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए तो क्या कर दिया जाता है ?

उत्तर का संदर्भ:- तुम पृथ्वी के नमक हो; परन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा? फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इस के कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए। (मत्ती 05:13)

#29. यीशु ने अपने सताने वालो के साथ कैसा व्यवहार करने के लिये कहा ?

उत्तर का संदर्भ:- परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो। (मत्ती 05:44)

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