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रोमियों अध्याय 08 प्रश्नोत्तरी प्रश्न और उत्तर | Romans Chapter 08 Quiz Questions And Answers

रोमियों अध्याय 15 प्रश्नोत्तरी प्रश्न और उत्तर

मेरे प्रिय भाई और बहनों, हमारी गुजारिश है कि आप बाईबल क्विज अटेंड करने से पहले एक बार इस चैप्टर का अध्ययन जरूर कर लें। बाईबल क्विज के माध्यम से हमारा उद्देश्य आपको परमेश्वर के वचन को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना है ताकि आप परमेश्वर और उसके ज्ञान को जान और समझ सके। हमारा पूर्ण विश्वास है कि आप निश्चित रूप से आशीषित होंगे। कृपया नीचे दिए गए फिनिश ऑप्शन पर क्लिक करने से पहले सभी प्रश्न अटेंड करना अनिवार्य है। हम आपको शुभकामनाएं देते हैं।

 

#1. आत्मा हमारी दुर्बलता में क्यों सहायता करता है ?

उत्तर का संदर्भ:- इसी रीति से आत्मा भी हमारी दुर्बलता में सहायता करता है : क्योंकि हम नहीं जानते कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए, परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर, जो बयान से बाहर हैं, हमारे लिये विनती करता है; (रोमियों 08ः26)

#2. परमेश्वर ने जिन्हें धर्मी ठहराया है उन्हें क्या दी है ?

उत्तर का संदर्भ:- फिर जिन्हें उसने पहले से ठहराया, उन्हें बुलाया भी; और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है; और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है। (रोमियों 08ः30)

#3. हम किसके संगी वारिस हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- और यदि सन्तान हैं तो वारिस भी, वरन् परमेश्‍वर के वारिस और मसीह के संगी वारिस हैं, कि जब हम उसके साथ दु:ख उठाएँ तो उसके साथ महिमा भी पाएँ। (रोमियों 08ः17)

#4. शरीर पर मन लगाने का क्या परिणाम होता है ?

उत्तर का संदर्भ:- शरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है, परन्तु आत्मा पर मन लगाना जीवन और शान्ति है; (रोमियों 08ः06)

#5. रोमियों 08 अध्याय के अनुसार परमेश्वर ने जिन्हें बुलाया है उन्हें क्या ठहराया है ?

उत्तर का संदर्भ:- फिर जिन्हें उसने पहले से ठहराया, उन्हें बुलाया भी; और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है; और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है। (रोमियों 08ः30)

#6. कौन मनुष्य परमेश्वर की व्यवस्था के अधीन है और न हो सकता है ?

उत्तर का संदर्भ:- क्योंकि शरीर पर मन लगाना तो परमेश्‍वर से बैर रखना है, क्योंकि न तो परमेश्‍वर की व्यवस्था के अधीन है और न हो सकता है; (रोमियों 08ः07)

#7. क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार हमें किससे अलग नहीं कर सकती ?

उत्तर का संदर्भ:- कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार? (रोमियों 08ः35)

#8. आत्मा आप ही हमारी आत्मा के साथ क्या गवाही देता है ?

उत्तर का संदर्भ:- आत्मा आप ही हमारी आत्मा के साथ गवाही देता है, कि हम परमेश्‍वर की सन्तान हैं; (रोमियों 08ः16)

#9. केवल कौन परमेश्वर के पुत्र हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- इसलिये कि जितने लोग परमेश्‍वर के आत्मा के चलाए चलते हैं, वे ही परमेश्‍वर के पुत्र हैं। (रोमियों 08ः14)

#10. जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने मसीह यीशु में हमें किसकी व्यवस्था से स्वतंत्र कर दिया है ?

उत्तर का संदर्भ:- क्योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की और मृत्यु की व्यवस्था से स्वतंत्र कर दिया। (रोमियों 08ः02)

#11. मसीह ही है जो मर गया वरन् मुर्दों में से जी उठा, और परमेश्वर के दाहिनी ओर है, और हमारे लिये क्या करता है ?

उत्तर का संदर्भ:- फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह ही है जो मर गया वरन् मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्‍वर के दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है। (रोमियों 08ः34)

#12. आत्मा की मनसा को कौन जान लेता है ?

उत्तर का संदर्भ:- और मनों का जाँचनेवाला जानता है कि आत्मा की मनसा क्या है? क्योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्‍वर की इच्छा के अनुसार विनती करता है। (रोमियों 08ः27)

#13. कौन मसीह का जन नहीं है ?

उत्तर का संदर्भ:- परन्तु जब कि परमेश्‍वर का आत्मा तुम में बसता है, तो तुम शारीरिक दशा में नहीं परन्तु आत्मिक दशा में हो। यदि किसी में मसीह का आत्मा नहीं तो वह उसका जन नहीं। (रोमियों 08ः09)

#14. किन लोगों के लिए सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- हम जानते हैं कि जो लोग परमेश्‍वर से प्रेम रखते हैं, उनके लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती हैं; अर्थात् उन्हीं के लिये जो उसकी इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। (रोमियों 08ः28)

#15. परमेश्वर ने अपने ही पुत्र को पापमय शरीर की समानता में और पापबलि होने के लिये भेजकर, शरीर में किस पर दण्ड की आज्ञा दी ?

उत्तर का संदर्भ:- क्योंकि जो काम व्यवस्था शरीर के कारण दुर्बल होकर न कर सकी, उस को परमेश्‍वर ने किया, अर्थात् अपने ही पुत्र को पापमय शरीर की समानता में और पापबलि होने के लिये भेजकर, शरीर में पाप पर दण्ड की आज्ञा दी। (रोमियों 08ः03)

#16. रोमियों 08 अध्याय के अनुसार इस समय का दुःख और क्लेश किसके सामने कुछ भी नहीं है ?

उत्तर का संदर्भ:- क्योंकि मैं समझता हूँ कि इस समय के दु:ख और क्लेश उस महिमा के सामने, जो हम पर प्रगट होनेवाली है, कुछ भी नहीं हैं। (रोमियों 08ः18)

#17. हम किसके अनुसार दिन काटेंगे तो मरेंगे ?

उत्तर का संदर्भ:- क्योंकि यदि तुम शरीर के अनुसार दिन काटोगे तो मरोगे, यदि आत्मा से देह की क्रियाओं को मारोगे तो जीवित रहोगे। (रोमियों 08ः13)

#18. हम किससे देह की क्रियाओं को मारेंगे तो जीवित रहेंगे ?

उत्तर का संदर्भ:- क्योंकि यदि तुम शरीर के अनुसार दिन काटोगे तो मरोगे, यदि आत्मा से देह की क्रियाओं को मारोगे तो जीवित रहोगे। (रोमियों 08ः13)

#19. हमें कौन सी आत्मा मिली है, जिससे हम हे अब्बा, हे पिता कहकर पुकारते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- क्योंकि तुम को दासत्व की आत्मा नहीं मिली कि फिर भयभीत हो, परन्तु लेपालकपन की आत्मा मिली है, जिससे हम हे अब्बा, हे पिता कहकर पुकारते हैं। (रोमियों 08ः15)

#20. शरीर पर मन लगाना तो किससे बैर रखना है ?

उत्तर का संदर्भ:- क्योंकि शरीर पर मन लगाना तो परमेश्‍वर से बैर रखना है, क्योंकि न तो परमेश्‍वर की व्यवस्था के अधीन है और न हो सकता है; (रोमियों 08ः07)

#21. शारीरिक व्यक्ति किन बातों पर मन लगाता है ?

उत्तर का संदर्भ:- क्योंकि शारीरिक व्यक्‍ति शरीर की बातों पर मन लगाते हैं; परन्तु आध्यात्मिक आत्मा की बातों पर मन लगाते हैं। (रोमियों 08ः05)

#22. हमें कौन सी आत्मा नहीं मिली कि फिर भयभीत हों ?

उत्तर का संदर्भ:- क्योंकि तुम को दासत्व की आत्मा नहीं मिली कि फिर भयभीत हो, परन्तु लेपालकपन की आत्मा मिली है, जिससे हम हे अब्बा, हे पिता कहकर पुकारते हैं। (रोमियों 08ः15)

#23. सृष्टि बड़ी आशा भरी दृष्टि से किसके प्रगट होने की बाट जोह रही है ?

उत्तर का संदर्भ:- क्योंकि सृष्‍टि बड़ी आशाभरी दृष्‍टि से परमेश्‍वर के पुत्रों के प्रगट होने की बाट जोह रही है। (रोमियों 08ः19)

#24. जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा क्यों नहीं है ?

उत्तर का संदर्भ:- अत: अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं। [क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन् आत्मा के अनुसार चलते हैं।] (रोमियों 08ः01)

#25. आत्मा पर मन लगाने का क्या परिणाम होता है ?

उत्तर का संदर्भ:- शरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है, परन्तु आत्मा पर मन लगाना जीवन और शान्ति है; (रोमियों 08ः06)

#26. कौन मनुष्य परमेश्वर को प्रसन्न नहीं कर सकता ?

उत्तर का संदर्भ:- और जो शारीरिक दशा में हैं, वे परमेश्‍वर को प्रसन्न नहीं कर सकते। (रोमियों 08ः08)

#27. रोमियों 08 अध्याय के अनुसार हम किसके कर्जदार नहीं है ?

उत्तर का संदर्भ:- इसलिये हे भाइयो, हम शरीर के कर्जदार नहीं कि शरीर के अनुसार दिन काटें, (रोमियों 08ः12)

#28. यदि उसी का आत्मा जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया, तुम में बसा हुआ है तो वह क्या करेगा ?

उत्तर का संदर्भ:- यदि उसी का आत्मा जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया, तुम में बसा हुआ है; तो जिसने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया, वह तुम्हारी नश्‍वर देहों को भी अपने आत्मा के द्वारा जो तुम में बसा हुआ है, जिलाएगा। (रोमियों 08ः11)

#29. आध्यात्मिक व्यक्ति किन बातों पर मन लगाता है ?

उत्तर का संदर्भ:- क्योंकि शारीरिक व्यक्‍ति शरीर की बातों पर मन लगाते हैं; परन्तु आध्यात्मिक आत्मा की बातों पर मन लगाते हैं। (रोमियों 08ः05)

#30. रोमियों 08 अध्याय के अनुसार परमेश्वर ने हम सब के लिये अपना क्या दे दिया है ?

उत्तर का संदर्भ:- जिसने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया, वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्यों न देगा? (रोमियों 08ः32)

#31. रोमियों 08 अध्याय के अनुसार आत्मा किसके लिये परमेश्वर की इच्छा के अनुसार विनती करता है ?

उत्तर का संदर्भ:- और मनों का जाँचनेवाला जानता है कि आत्मा की मनसा क्या है? क्योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्‍वर की इच्छा के अनुसार विनती करता है। (रोमियों 08ः27)

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