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मन के बारे में बाइबल की आयतें | Bible Verses About The Mind

मन के बारे में बाइबल की आयतें

बाइबल में मन को एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में दर्शाया गया है, जो विचारों, भावनाओं, और कार्यों को प्रभावित करता है। यह न केवल सोचने और तर्क करने का स्थान है, बल्कि यह भी निर्धारित करता है कि हम कैसे कार्य करते हैं और परमेश्वर के साथ हमारे संबंध कैसे हैं।


बाइबल में मन के बारे में कई आयतें हैं, जो मन की स्थिति, विचारों और भावनाओं पर प्रकाश डालती हैं। कुछ मुख्य आयतें हैं:


मन के बारे में बाइबल क्या कहती है

नीतिवचन 4:23 – “सब से अधिक अपने मन की रक्षा कर; क्योंकि जीवन का मूल स्रोत वही है।”

नीतिवचन 4:4 – “और मेरा पिता मुझे यह कह कर सिखाता था, कि तेरा मन मेरे वचन पर लगा रहे; तू मेरी आज्ञाओं का पालन कर, तब जीवित रहेगा।”

मत्ती 15:18-20 – “पर जो कुछ मुंह से निकलता है, वह मन से निकलता है, और वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। क्योंकि कुचिन्ता, हत्या, पर स्त्रीगमन, व्यभिचार, चोरी, झूठी गवाही और निन्दा मन ही से निकलतीं है। यही हैं जो मनुष्य को अशुद्ध करती हैं, परन्तु हाथ बिना धोए भोजन करना मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता॥”

कुलुस्सियों 3:2 – “पृथ्वी पर की नहीं परन्तु स्वर्गीय वस्तुओं पर ध्यान लगाओ।”

रोमियो 8:5 – “क्योंकि शरीरिक व्यक्ति शरीर की बातों पर मन लगाते हैं; परन्तु आध्यात्मिक आत्मा की बातों पर मन लगाते हैं।”

मत्ती 5:3 – “धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है।”

मत्ती 5:8 – “धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे।”

भजन संहिता 26:2 – “हे यहोवा, मुझ को जांच और परख; मेरे मन और हृदय को परख।”

भजन संहिता 34:18 – “यहोवा टूटे मन वालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है॥”

भजन संहिता 147:3 – “वह खेदित मन वालों को चंगा करता है, और उनके शोक पर मरहम- पट्टी बान्धता है।”

मत्ती 11:29 – “मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे।”

मन के बारे में

भजन संहिता 51:17 – “टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता॥”

नीतिवचन 17:22 – “मन का आनन्द अच्छी औषधि है, परन्तु मन के टूटने से हड्डियां सूख जाती हैं।”

यशायाह 61:1 – “प्रभु यहोवा का आत्मा मुझ पर है; क्योंकि यहोवा ने सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया और मुझे इसलिये भेजा है कि खेदित मन के लोगों को शान्ति दूं; कि बंधुओं के लिये स्वतंत्रता का और कैदियों के लिये छुटकारे का प्रचार करूं”

यिर्मयाह 17:10 – “मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देने वाला होता है, उस में असाध्य रोग लगा है; उसका भेद कौन समझ सकता है? मैं यहोवा मन की खोजता और हृदय को जांचता हूँ ताकि प्रत्येक जन को उसकी चाल-चलन के अनुसार अर्थात उसके कामों का फल दूं।”

मत्ती 22:37 – “उस ने उस से कहा, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख।”

रोमियो 8:5-7 – “क्योंकि शरीरिक व्यक्ति शरीर की बातों पर मन लगाते हैं; परन्तु आध्यात्मिक आत्मा की बातों पर मन लगाते हैं। शरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है, परन्तु आत्मा पर मन लगाना जीवन और शान्ति है। क्योंकि शरीर पर मन लगाना तो परमेश्वर से बैर रखना है, क्योंकि न तो परमेश्वर की व्यवस्था के आधीन है, और न हो सकता है।”

रोमियो 14:5 – “कोई तो एक दिन को दूसरे से बढ़कर जानता है, और कोई सब दिन एक सा जानता है: हर एक अपने ही मन में निश्चय कर ले।”

1 कुरिन्थियों 2:16 – “क्योंकि प्रभु का मन किस ने जाना है, कि उसे सिखलाए? परन्तु हम में मसीह का मन है॥”

इफिसियों 4:18 – “क्योंकि उनकी बुद्धि अन्धेरी हो गई है और उस अज्ञानता के कारण जो उन में है और उनके मन की कठोरता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग किए हुए हैं।”

मरकुस 12:33 – “और उस से सारे मन और सारी बुद्धि और सारे प्राण और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना और पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना, सारे होमों और बलिदानों से बढ़कर है।”

निष्कर्ष:

मन के बारे में परमेश्वर के वचन हमें अपने मन की रक्षा करने, उसे बदलने, शांति पाने और परमेश्वर की इच्छा को जानने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। बाइबल में मन के बारे में कई आयतें हैं जो इन विषयों पर प्रकाश डालती हैं और हमें अपने मन को परमेश्वर के करीब लाने में मदद करती हैं।

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