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रोमियों अध्याय 06 प्रश्नोत्तरी प्रश्न और उत्तर | Romans Chapter 06 Quiz Questions And Answers

रोमियों अध्याय 08 प्रश्नोत्तरी प्रश्न और उत्तर

मेरे प्रिय भाई और बहनों, हमारी गुजारिश है कि आप बाईबल क्विज अटेंड करने से पहले एक बार इस चैप्टर का अध्ययन जरूर कर लें। बाईबल क्विज के माध्यम से हमारा उद्देश्य आपको परमेश्वर के वचन को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना है ताकि आप परमेश्वर और उसके ज्ञान को जान और समझ सके। हमारा पूर्ण विश्वास है कि आप निश्चित रूप से आशीषित होंगे। कृपया नीचे दिए गए फिनिश ऑप्शन पर क्लिक करने से पहले सभी प्रश्न अटेंड करना अनिवार्य है। हम आपको शुभकामनाएं देते हैं।

 

#1. जिन्होंने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया है, उन्होंने उसकी किसका बपतिस्मा लिया है ?

उत्तर का संदर्भ:- क्या तुम नहीं जानते कि हम सब जिन्होंने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया, उसकी मृत्यु का बपतिस्मा लिया। (रोमियों 06ः03)

#2. पौलुस रोमियों की कलीसिया को जब तुम पाप के दास थे, तो किसकी ओर से स्वतंत्र थे कहा ?

उत्तर का संदर्भ:- जब तुम पाप के दास थे, तो धर्म की ओर से स्वतंत्र थे। (रोमियों 06ः20)

#3. हम यीशु मसीह के साथ कैसे गाड़े गए हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- अत: उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें। (रोमियों 06ः04)

#4. यीशु मसीह के साथ हमारा क्या क्रूस पर चढ़ाया गया ताकि पाप का शरीर व्यर्थ हो जाए ?

उत्तर का संदर्भ:- हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया ताकि पाप का शरीर व्यर्थ हो जाए, और हम आगे को पाप के दासत्व में न रहें। (रोमियों 06ः06)

#5. पाप की मजदूरी क्या है ?

उत्तर का संदर्भ:- क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्‍वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है। (रोमियों 06ः23)

#6. हम अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्तु किसके लिये मसीह यीशु में जीवित समझे ?

उत्तर का संदर्भ:- ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्तु परमेश्‍वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो। (रोमियों 06ः11)

#7. हम कब यीशु मसीह के जी उठने की समानता में जुट जाएँगे ?

उत्तर का संदर्भ:- क्योंकि यदि हम उसकी मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्‍चय उसके जी उठने की समानता में भी जुट जाएँगे। (रोमियों 06ः05)

#8. रोमियों 06 अध्याय के अनुसार यदि हम मसीह के साथ मर गए तो हमारा विश्वास क्या होना चाहिए ?

उत्तर का संदर्भ:- इसलिये यदि हम मसीह के साथ मर गए, तो हमारा विश्‍वास यह है कि उसके साथ जीएँगे भी। (रोमियों 06ः08)

#9. परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु यीशु में क्या है ?

उत्तर का संदर्भ:- क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्‍वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है। (रोमियों 06ः23)

#10. यीशु मसीह जो मर गया तो किसके लिये एक बार मर गया है ?

उत्तर का संदर्भ:- क्योंकि वह जो मर गया तो पाप के लिये एक ही बार मर गया; परन्तु जो जीवित है तो परमेश्‍वर के लिये जीवित है। (रोमियों 06ः10)

#11. आज्ञाकारिता का अन्त क्या है ?

उत्तर का संदर्भ:- क्या तुम नहीं जानते कि जिस की आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों के समान सौंप देते हो उसी के दास हो : चाहे पाप के, जिसका अन्त मृत्यु है, चाहे आज्ञाकारिता के, जिसका अन्त धार्मिकता है ? (रोमियों 06ः16)

#12. क्या हम पाप करते रहें कि अनुग्रह बहुत हो ?

उत्तर का संदर्भ:- तो हम क्या कहें? क्या हम पाप करते रहें कि अनुग्रह बहुत हो ? कदापि नहीं! हम जब पाप के लिये मर गए तो फिर आगे को उसमें कैसे जीवन बिताएँ ? (रोमियों 06ः01-02)

#13. रोमियों 06 अध्याय के अनुसार कौन पाप से छूटकर धर्मी ठहरा है ?

उत्तर का संदर्भ:- क्योंकि जो मर गया, वह पाप से छूटकर धर्मी ठहरा। (रोमियों 06ः07)

#14. हमें अपने अंगों को अधर्म का हथियार होने के लिये किसे नहीं सौंपना चाहिए ?

उत्तर का संदर्भ:- और न अपने अंगों को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आपको मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्‍वर को सौंपो, और अपने अंगों को धार्मिकता के हथियार होने के लिये परमेश्‍वर को सौंपो। (रोमियों 06ः13)

#15. रोमियों 06 अध्याय के अनुसार हम किसके अधीन है ?

उत्तर का संदर्भ:- तब तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्योंकि तुम व्यवस्था के अधीन नहीं वरन् अनुग्रह के अधीन हो। (रोमियों 06ः14)

#16. जो कोई पाप करता है उसका अन्त क्या है ?

उत्तर का संदर्भ:- क्या तुम नहीं जानते कि जिस की आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों के समान सौंप देते हो उसी के दास हो : चाहे पाप के, जिसका अन्त मृत्यु है, चाहे आज्ञाकारिता के, जिसका अन्त धार्मिकता है? (रोमियों 06ः16)

#17. जिस की आज्ञा मानने के लिये हम अपने आप को सौंप देते हैं उसके क्या बन जाते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- क्या तुम नहीं जानते कि जिस की आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों के समान सौंप देते हो उसी के दास हो : चाहे पाप के, जिसका अन्त मृत्यु है, चाहे आज्ञाकारिता के, जिसका अन्त धार्मिकता है? (रोमियों 06ः16)

#18. पौलुस रोमियों की कलीसिया को अब पाप से स्वतंत्र होकर और परमेश्वर के दास बनकर तुम को फल मिला जिससे पवित्रता प्राप्त होती है, और उसका अन्त क्या है कहा ?

उत्तर का संदर्भ:- परन्तु अब पाप से स्वतंत्र होकर और परमेश्‍वर के दास बनकर तुम को फल मिला जिससे पवित्रता प्राप्‍त होती है, और उसका अन्त अनन्त जीवन है। (रोमियों 06ः22)

#19. रोमियों 06 अध्याय के अनुसार हमारे नश्वर शरीर में क्या राज्य नहीं करना चाहिए ?

उत्तर का संदर्भ:- इसलिये पाप तुम्हारे नश्‍वर शरीर में राज्य न करे, कि तुम उसकी लालसाओं के अधीन रहो; (रोमियों 06ः12)

#20. हमें अपने अंगो को धर्म का हथियार होने के लिये किसे सौंपना चाहिए ?

उत्तर का संदर्भ:- और न अपने अंगों को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आपको मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्‍वर को सौंपो, और अपने अंगों को धार्मिकता के हथियार होने के लिये परमेश्‍वर को सौंपो। (रोमियों 06ः13)

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