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मुँह के बारे में बाइबल की आयतें | Bible Verses about Mouths

मुँह के बारे में बाइबल की आयतें

बाइबल में, मुंह के बारे में कई वचन हैं जो हमें बताते हैं कि हमें अपने शब्दों पर ध्यान देना चाहिए। कुछ मुख्य वचन हैं:


मुँह के बारे में संदर्भित बाइबल की आयतें

याकूब 3:10-11 – “एक ही मुँह से धन्यवाद और शाप दोनों निकलते हैं। हे मेरे भाइयो, ऐसा नहीं होना चाहिए। क्या सोते के एक ही मुँह से मीठा और खारा जल दोनों निकलता है ?”

इफिसियों 4:29 – “कोई गन्दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।”

मत्ती 12:37 – “क्योंकि तू अपनी बातों के कारण निर्दोष, और अपनी बातों ही के कारण दोषी ठहराया जाएगा।”

भजन 19:14 – “मेरे मुँह के वचन और मेरे हृदय का ध्यान तेरे सम्मुख ग्रहण योग्य हों, हे यहोवा परमेश्‍वर, मेरी चट्टान और मेरे उद्धार करनेवाले!”

व्यवस्थाविवरण 23:23 – “जो कुछ तेरे मुँह से निकले उसे पूरा करने में चौकसी करना; तू अपने मुँह से वचन देकर अपनी इच्छा से अपने परमेश्‍वर यहोवा की जैसी मन्नत माने, वैसी ही स्वतन्त्रता पूर्वक उसे पूरा करना।”

यशायाह 55:11 – “उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैं ने उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा”

व्यवस्थाविवरण 8:3 – “उसने तुझ को नम्र बनाया, और भूखा भी होने दिया, फिर वह मन्ना, जिसे न तू और न तेरे पुरखा ही जानते थे, वही तुझ को खिलाया; इसलिये कि वह तुझ को सिखाए कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं जीवित रहता, परन्तु जो जो वचन यहोवा के मुंह से निकलते हैं उन ही से वह जीवित रहता है।”

भजन संहिता 33:6 – “आकाशमण्डल यहोवा के वचन से, और उसके सारे गण उसके मुँह की श्‍वास से बने।”

मत्ती 4:4 – “यीशु ने उत्तर दिया : “लिखा है, ‘मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्‍वर के मुख से निकलता है, जीवित रहेगा।’””

अय्यूब 15:30 – “वह अन्धियारे से कभी न निकलेगा; और उसकी डालियाँ आग की लपट से झुलस जाएँगी,और परमेश्‍वर के मुँह की श्‍वास से वह उड़ जाएगा।”

2 थिस्सलुनीकियों 2:8 – “तब वह अधर्मी प्रगट होगा, जिसे प्रभु यीशु अपने मुँह की फूँक से मार डालेगा, और अपने आगमन के तेज से भस्म करेगा।”

यशायाह 11:04 – “परन्तु वह कंगालों का न्याय धर्म से, और पृथ्वी के नम्र लोगों का निर्णय खराई से करेगा; और वह पृथ्वी को अपने वचन के सोंटे से मारेगा, और अपने फूँक के झोंके से दुष्‍ट को मिटा डालेगा।”

प्रकाशितवाक्य 2:16 – “अत: मन फिरा, नहीं तो मैं तेरे पास शीघ्र ही आकर अपने मुख की तलवार से उनके साथ लड़ूँगा।”

2 इतिहास 6:4 – “और उसने कहा, धन्य है इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, जिसने अपने मुंह से मेरे पिता दाऊद को यह वचन दिया था, और अपने हाथों से इसे पूरा किया है,”

1 राजा 8:24 – “जो वचन तू ने मेरे पिता दाऊद को दिया था, उसका तू ने पालन किया है, जैसा तू ने अपने मुंह से कहा था, वैसा ही अपने हाथ से उसको पूरा किया है, जैसा आज है।”

2 इतिहास 6:15 – “तू ने जो वचन मेरे पिता दाऊद को दिया था, उसका तू ने पालन किया है; जैसा तू ने अपने मुंह से कहा था, वैसा ही अपने हाथ से उसको हमारी आंखों के साम्हने पूरा भी किया है।”

यशायाह 57:19 – “मैं मुँह के फल का सृजनहार हूँ; यहोवा ने कहा है, जो दूर और जो निकट हैं, दोनों को पूरी शान्ति मिले; और मैं उसको चंगा करूँगा।”

व्यवस्थाविवरण 18:18 – “इसलिये मैं उनके लिये उनके भाइयों के बीच में से तेरे समान एक नबी को उत्पन्न करूँगा; और अपना वचन उसके मुँह में डालूँगा; और जिस जिस बात की मैं उसे आज्ञा दूँगा वही वह उनको कह सुनाएगा।”

निर्गमन 4:12 – “अब जा, मैं तेरे मुख के संग होकर जो तुझे कहना होगा वह तुझे सिखलाता जाऊँगा।”

गिनती 22:38 – “बिलाम ने बालाक से कहा, “देख, मैं तेरे पास आया तो हूँ! परन्तु अब क्या मैं कुछ कह सकता हूँ? जो बात परमेश्‍वर मेरे मुँह में डालेगा वही बात मैं कहूँगा।”

1 राजा 17:24 – “स्त्री ने एलिय्याह से कहा, अब मुझे निश्चय हो गया है कि तू परमेश्वर का जन है, और यहोवा का जो वचन तेरे मुंह से निकलता है, वह सच होता है।”

यशायाह 49:02 – “उसने मेरे मुँह को चोखी तलवार के समान बनाया और अपने हाथ की आड़ में मुझे छिपा रखा; उसने मुझ को चमकीला तीर बनाकर अपने तर्कश में गुप्‍त रखा;”

प्रकाशितवाक्य 1:16 – “वह अपने दाहिने हाथ में सात तारे लिये हुए था, और उसके मुख से तेज दोधारी तलवार निकलती थी। उसका मुँह ऐसा प्रज्‍वलित था, जैसा सूर्य कड़ी धूप के समय चमकता है।”

यिर्मयाह 1:9 – “तब यहोवा ने हाथ बढ़ाकर मेरे मुंह को छुआ; और यहोवा ने मुझ से कहा, देख, मैं ने अपने वचन तेरे मुंह में डाल दिये हैं।”

यहेजकेल 3:1-4 – “तब उसने मुझ से कहा हे मनुष्य के सन्तान, जो तुझे मिला है उसे खा ले; अर्थात इस पुस्तक को खा, तब जा कर इस्राएल के घराने से बातें कर। सो मैं ने मुंह खोला और उसने वह पुस्तक मुझे खिला दी। तब उसने मुझ से कहा, हे मनुष्य के सन्तान, यह पुस्तक जो मैं तुझे देता हूँ उसे पचा ले, और अपनी अन्तडिय़ां इस से भर ले। सो मैं ने उसे खा लिया; और मेरे मुंह में वह मधु के तुल्य मीठी लगी। फिर उसने मुझ से कहा, हे मनुष्य के सन्तान, तू इस्राएल के घराने के पास जा कर उन को मेरे वचन सुना।”

नीतिवचन 18:20 – “मनुष्य का पेट मुंह की बातों के फल से भरता है; और बोलने से जो कुछ प्राप्त होता है उस से वह तृप्त होता है।”

भजन 78:29-30 – “और वे खाकर अति तृप्त हुए, और उसने उनकी कामना पूरी की। उनकी कामना बनी ही रही, उनका भोजन उनके मुंह ही में था।”

नीतिवचन 19:24 – “आलसी अपना हाथ थाली में डालता है, परन्तु अपने मुंह तक कौर नहीं उठाता।”

नीतिवचन 30:20 – “व्यभिचारिणी की चाल भी वैसी ही है; वह भोजन कर के मुंह पोंछती, और कहती है, मैं ने कोई अनर्थ काम नहीं किया॥”

यहेजकेल 4:14 – “तब मैं ने कहा, हाय, यहोवा परमेश्वर देख, मेरा मन कभी अशुद्ध नहीं हुआ, और न मैं ने बचपन से ले कर अब तक अपनी मृत्यु से मरे हुए वा फाड़े हुए पशु का मांस खाया, और न किसी प्रकार का घिनौना मांस मेरे मुंह में कभी गया है।”

नहूम 3:12 – “तेरे सब गढ़ ऐसे अंजीर के वृक्षों के समान होंगे जिन में पहिले पक्के अंजीर लगे हों, यदि वे हिलाए जाएं तो फल खाने वाले के मुंह में गिरेंगे।”

भजन संहिता 22:13 – “वह फाड़ने और गरजने वाले सिंह की नाईं मुझ पर अपना मुंह पसारे हुए है॥”

2 तीमुथियुस 4:17 – “परन्तु प्रभु मेरा सहायक रहा, और मुझे सामर्थ दी: ताकि मेरे द्वारा पूरा पूरा प्रचार हो, और सब अन्यजाति सुन ले; और मैं तो सिंह के मुंह से छुड़ाया गया।”

नीतिवचन 10:11 – “धर्मी का मुंह तो जीवन का सोता है, परन्तु उपद्रव दुष्टों का मुंह छा लेता है।”

भजन संहिता 19:14 – “मेरे मुंह के वचन और मेरे हृदय का ध्यान तेरे सम्मुख ग्रहण योग्य हों, हे यहोवा परमेश्वर, मेरी चट्टान और मेरे उद्धार करने वाले”

भजन संहिता 71:8 – “मेरे मुंह से तेरे गुणानुवाद, और दिन भर तेरी शोभा का वर्णन बहुत हुआ करे।”

भजन संहिता 51:15 – “हे प्रभु, मेरा मुंह खोल दे तब मैं तेरा गुणानुवाद कर सकूंगा।”

रोमियों 10:10 – “क्योंकि धामिर्कता के लिये मन से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुंह से अंगीकार किया जाता है।”

भजन संहिता 49:03 – “मेरे मुंह से बुद्धि की बातें निकलेंगी; और मेरे हृदय की बातें समझ की होंगी।”

भजन संहिता 37:30 – “धर्मी अपने मुंह से बुद्धि की बातें करता, और न्याय का वचन कहता है।”

नीतिवचन 10:31 – “धर्मी के मुंह से बुद्धि टपकती है, पर उलट फेर की बात कहने वाले की जीभ काटी जायेगी।”

मलाकी 2:6-7 – “उसको मेरी सच्ची व्यवस्था कण्ठ थी, और उसके मुंह से कुटिल बात न निकलती थी। वह शान्ति और सीधाई से मेरे संग संग चलता था, और बहुतों को अधर्म से लौटा ले आया था। क्योंकि याजक को चाहिये कि वह अपने ओंठों से ज्ञान की रक्षा करे, और लोग उसके मुंह से व्यवस्था पूछें, क्योंकि वह सेनाओं के यहोवा का दूत है।”

भजन संहिता 78:2 – “मैं अपना मूंह नीतिवचन कहने के लिये खोलूंगा; मैं प्राचीन काल की गुप्त बातें कहूंगा,”

भजन संहिता 10:7 – “उसका मुंह शाप और छल और अन्धेर से भरा है; उत्पात और अनर्थ की बातें उसके मुंह में हैं।”

भजन 50:19 – “तू ने अपना मुंह बुराई करने के लिये खोला, और तेरी जीभ छल की बातें गढ़ती है।”

भजन 36:3 – “उसकी बातें अनर्थ और छल की हैं; उसने बुद्धि और भलाई के काम करने से हाथ उठाया है।”

निष्कर्ष:

बाइबल सिखाती है कि हमारे मुँह से निकलने वाले शब्दों में शक्ति होती है, और हमें उन्हें बुद्धिमानी से उपयोग करना चाहिए। हमें नकारात्मक, विनाशकारी या झूठे शब्दों से बचना चाहिए, और इसके बजाय, हमें सकारात्मक, परमेश्वर के वचनों का उपयोग करना चाहिए।

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