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उत्पत्ति अध्याय 01 प्रश्नोत्तरी प्रश्न और उत्तर | Genesis Chapter 01 Quiz Questions And Answers

उत्पत्ति अध्याय 17 प्रश्नोत्तरी प्रश्न और उत्तर

मेरे प्रिय भाई और बहनों, हमारी गुजारिश है कि आप बाईबल क्विज अटेंड करने से पहले एक बार इस चैप्टर का अध्ययन जरूर कर लें। बाईबल क्विज के माध्यम से हमारा उद्देश्य आपको परमेश्वर के वचन को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना है ताकि आप परमेश्वर और उसके ज्ञान को जान और समझ सके। हमारा पूर्ण विश्वास है कि आप निश्चित रूप से आशीषित होंगे। कृपया नीचे दिए गए फिनिश ऑप्शन पर क्लिक करने से पहले सभी प्रश्न अटेंड करना अनिवार्य है। हम आपको शुभकामनाएं देते हैं।

 

#1. परमेश्वर ने सूर्य, चन्द्रमा और तारागणों को कौन से दिन में बनाया ?

उत्तर का संदर्भ:- और वे ज्योतियां आकाश के अन्तर में पृथ्वी पर प्रकाश देने वाली भी ठहरें; और वैसा ही हो गया। तब परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियां बनाईं; उन में से बड़ी ज्योति को दिन पर प्रभुता करने के लिये, और छोटी ज्योति को रात पर प्रभुता करने के लिये बनाया: और तारागण को भी बनाया। परमेश्वर ने उन को आकाश के अन्तर में इसलिये रखा कि वे पृथ्वी पर प्रकाश दें, तथा दिन और रात पर प्रभुता करें और उजियाले को अन्धियारे से अलग करें: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार चौथा दिन हो गया॥ (उत्पत्ति 01ः19)

#2. परमेश्वर ने दूसरे दिन क्या बनाया ?

उत्तर का संदर्भ:- और परमेश्वर ने उस अन्तर को आकाश कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार दूसरा दिन हो गया॥ (उत्पत्ति 01ः08)

#3. परमेश्वर ने पाँचवे दिन क्या बनाया ?

उत्तर का संदर्भ:- इसलिये परमेश्वर ने जाति जाति के बड़े बड़े जल-जन्तुओं की, और उन सब जीवित प्राणियों की भी सृष्टि की जो चलते फिरते हैं जिन से जल बहुत ही भर गया और एक एक जाति के उड़ने वाले पक्षियों की भी सृष्टि की: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। और परमेश्वर ने यह कहके उनको आशीष दी, कि फूलो-फलो, और समुद्र के जल में भर जाओ, और पक्षी पृथ्वी पर बढ़ें। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पांचवां दिन हो गया। (उत्पत्ति 01ः21-23)

#4. परमेश्वर का आत्मा किसके ऊपर मंडराता था ?

उत्तर का संदर्भ:- और पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी; और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था: तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डलाता था। (उत्पत्ति 01ः02)

#5. आदि में परमेश्वर ने किसकी सृष्टि की ?

उत्तर का संदर्भ:- आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। (उत्पत्ति 01ः01)

#6. परमेश्वर ने उजियाले को और अन्धियारे को क्या कहा ?

उत्तर का संदर्भ:- और परमेश्वर ने उजियाले को दिन और अन्धियारे को रात कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहिला दिन हो गया॥ (उत्पत्ति 01ः05)

#7. परमेश्वर ने घरेलू पशु, और रेंगने वाले जन्तु, और पृथ्वी के वनपशुओं कौन से दिन बनाया ?

उत्तर का संदर्भ:- सो परमेश्वर ने पृथ्वी के जाति जाति के वन पशुओं को, और जाति जाति के घरेलू पशुओं को, और जाति जाति के भूमि पर सब रेंगने वाले जन्तुओं को बनाया: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। इस प्रकार छठवां दिन हो गया॥ (उत्पत्ति 01ः25)

#8. परमेश्वर ने मनुष्य को कौन से दिन बनाया ?

उत्तर का संदर्भ:- तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की। और परमेश्वर ने उन को आशीष दी: और उन से कहा, फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगने वाले सब जन्तुओ पर अधिकार रखो। तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार छठवां दिन हो गया॥ (उत्पत्ति 01ः27,28, 31)

#9. परमेश्वर ने पृथ्वी, समुद्र और पेड़-पौधे को कौन से दिन में बनाया ?

उत्तर का संदर्भ:- और परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा; तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। फिर परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से हरी घास, तथा बीज वाले छोटे छोटे पेड़, और फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज उन्ही में एक एक की जाति के अनुसार होते हैं पृथ्वी पर उगें; और वैसा ही हो गया। तो पृथ्वी से हरी घास, और छोटे छोटे पेड़ जिन में अपनी अपनी जाति के अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज एक एक की जाति के अनुसार उन्ही में होते हैं उगे; और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार तीसरा दिन हो गया॥ (उत्पत्ति 01ः10-13)

#10. उत्पत्ति नाम का अर्थ क्या है ?

उत्तर का संदर्भ:- आरम्भ (उत्पत्ति, भूमिका से)

#11. परमेश्वर ने मनुष्य को बनाकर किस-किस पर अधिकार दिये थे ?

उत्तर का संदर्भ:- फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें। (उत्पत्ति 01ः26)

#12. परमेश्वर ने नर और नारी को पहली आशीष क्या दी ?

उत्तर का संदर्भ:- और परमेश्वर ने उन को आशीष दी: और उन से कहा, फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगने वाले सब जन्तुओ पर अधिकार रखो। (उत्पत्ति 01ः28)

#13. परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया और मनुष्य की केवल कौन सी दो जाति बनाई है ?

उत्तर का संदर्भ:- तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की। (उत्पत्ति 01ः27)

#14. आदि में पृथ्वी किस अवस्था में थी ?

उत्तर का संदर्भ:- और पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी; और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था: तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डलाता था। (उत्पत्ति 01ः02)

#15. परमेश्वर ने पहले दिन क्या बनाया ?

उत्तर का संदर्भ:- तब परमेश्वर ने कहा, उजियाला हो: तो उजियाला हो गया। और परमेश्वर ने उजियाले को दिन और अन्धियारे को रात कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहिला दिन हो गया॥ (उत्पत्ति 01ः03-5)

#16. परमेश्वर ने बीज वाले छोटे-छोटे पेड़ और बीज वाले फल किन्हें भोजन के लिये दिये थे ?

उत्तर का संदर्भ:- फिर परमेश्वर ने उन से कहा, सुनो, जितने बीज वाले छोटे छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं, वे सब मैं ने तुम को दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं: (उत्पत्ति 01ः29)

#17. परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियाँ बनाई ये दो ज्योतियाँ कौन सी है ?

उत्तर का संदर्भ:- तब परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियां बनाईं; उन में से बड़ी ज्योति को दिन पर प्रभुता करने के लिये, और छोटी ज्योति को रात पर प्रभुता करने के लिये बनाया: और तारागण को भी बनाया। (उत्पत्ति 01ः16)

#18. परमेश्वर ने क्या कहा, कि हम मनुष्य को कैसे बनाएं ?

उत्तर का संदर्भ:- फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें। (उत्पत्ति 01ः26)

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