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याकूब अध्याय 1 प्रश्नोत्तरी प्रश्न और उत्तर | James Chapter 1 Quiz Questions And Answers

रोमियों अध्याय 08 प्रश्नोत्तरी प्रश्न और उत्तर

मेरे प्रिय भाई और बहनों, हमारी हृदय से गुजारिश है कि आप बाईबल क्विज अटेंड करने से पहले एक बार इस चैप्टर का अध्ययन जरूर कर लें। बाईबल क्विज के माध्यम से हमारा उद्देश्य आपको परमेश्वर के वचन को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना है ताकि आप परमेश्वर और उसके ज्ञान को जान और समझ सके। हमारा पूर्ण विश्वास है कि आप निश्चित रूप से आशीषीत होंगे। कृपया नीचे दिए गए फिनिश ऑप्शन पर क्लिक करने से पहले सभी प्रश्न अटेंड करना अनिवार्य है। हम आपको शुभकामनाएं देते हैं।

 

#1. याकूब के अनुसार संदेह करनेवाला व्यक्ति दुचित्ता है और अपनी सारी बातों में क्या है ?

उत्तर का संदर्भ:- वह व्यक्ति दुचित्ता है, और अपनी सारी बातों में चंचल है॥ (याकूब 01:08)

#2. याकूब दीन भाई किस पर घमण्ड करे कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- दीन भाई अपने ऊंचे पद पर घमण्ड करे। (याकूब 01:09)

#3. याकूब धीरज को अपना पूरा काम क्यों करने दो कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- पर धीरज को अपना पूरा काम करने दो, कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे॥ (याकूब 01:04)

#4. याकूब के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति कैसे परीक्षा में पड़ता है ?

उत्तर का संदर्भ:- परन्तु प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही अभिलाषा में खिंच कर, और फंस कर परीक्षा में पड़ता है। (याकूब 01:14)

#5. याकूब कौन समुद्र की लहर के सामान है जो हवा से बहती और उछलती है कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- पर विश्वास से मांगे, और कुछ सन्देह न करे; क्योंकि सन्देह करने वाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है। (याकूब 01:06)

#6. याकूब किसमें धीर होना चाहिये कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो। (याकूब 01:19)

#7. किसकी तुलना ऐसे मनुष्य से की गई है जो अपना स्वभाविक मुंह दर्पण में देखता है और तुरन्त भूल जाता है कि मैं कैसा था ?

उत्तर का संदर्भ:- क्योंकि जो कोई वचन का सुनने वाला हो, और उस पर चलने वाला न हो, तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्वाभाविक मुंह दर्पण में देखता है। (याकूब 01:23)

#8. याकूब 01 अध्याय के अनुसार हमारे परमेश्वर पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति क्या है ?

उत्तर का संदर्भ:- हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है, कि अनाथों और विधवाओं के क्लेश में उन की सुधि लें, और अपने आप को संसार से निष्कलंक रखें॥ (याकूब 01:27)

#9. याकूब के अनुसार मांगने पर परमेश्वर बिना उलाहना दिए सब को उदारता से क्या देता है ?

उत्तर का संदर्भ:- पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उस को दी जाएगी। (याकूब 01:05)

#10. याकूब ने 01 अध्याय 01 पद में किन्हें नमस्कार पहुंचे कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- परमेश्वर के और प्रभु यीशु मसीह के दास याकूब की ओर से उन बारहों गोत्रों को जो तित्तर बित्तर होकर रहते हैं नमस्कार पहुंचे॥ (याकूब 01:01)

#11. अभिलाषा गर्भवती होकर किसको जन्म देती है ?

उत्तर का संदर्भ:- फिर अभिलाषा गर्भवती होकर पाप को जनती है और पाप जब बढ़ जाता है तो मृत्यु को उत्पन्न करता है। (याकूब 01:15)

#12. याकूब के अनुसार कौन अपने आप को धोखा देता है ?

उत्तर का संदर्भ:- परन्तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं। (याकूब 01:22)

#13. याकूब क्या करने के लिये तत्पर रहे कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो। (याकूब 01:19)

#14. याकूब धन्य है वह मनुष्य जो परीक्षा में स्थिर रहता है, क्योंकि वह खरा निकलकर क्या पाएगा कहते हैं जिसकी प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों से की है ?

उत्तर का संदर्भ:- धन्य है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है; क्योंकि वह खरा निकल कर जीवन का वह मुकुट पाएगा, जिस की प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों को दी है। (याकूब 01:12)

#15. याकूब तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से क्या उत्पन्न होता है कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है। (याकूब 01:03)

#16. याकूब जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो, तो इसको कौन सी बात समझो कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है। (याकूब 01:03)

#17. याकूब सारी मलीनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर करके, उस वचन को कैसे ग्रहण कर लो जो हृदय में बोया गया कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर करके, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है। (याकूब 01:21)

#18. याकूब 01 अध्याय के अनुसार कोई मनुष्य की भक्ति कब व्यर्थ हो जाती है ?

उत्तर का संदर्भ:- यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे, पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है। (याकूब 01:26)

#19. याकूब 01 अध्याय 17 पद में याकूब ने परमेश्वर को क्या उपाधि दी है ?

उत्तर का संदर्भ:- क्योंकि हर एक अच्छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है, और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है, जिस में न तो कोई परिवर्तन हो सकता है, ओर न अदल बदल के कारण उस पर छाया पड़ती है। (याकूब 01:17)

#20. पाप जब बढ़ जाता है तो किसको उत्पन्न करता है ?

उत्तर का संदर्भ:- फिर अभिलाषा गर्भवती होकर पाप को जनती है और पाप जब बढ़ जाता है तो मृत्यु को उत्पन्न करता है। (याकूब 01:15)

#21. याकूब मनुष्य का क्रोध किसका निर्वाह नहीं कर सकता है कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- क्योंकि मनुष्य का क्रोध परमेश्वर के धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता है। (याकूब 01:20)

#22. याकूब ने 01 अध्याय के 01 पद में अपने आप का वर्णन किस प्रकार किया है ?

उत्तर का संदर्भ:- परमेश्वर के और प्रभु यीशु मसीह के दास याकूब की ओर से उन बारहों गोत्रों को जो तित्तर बित्तर होकर रहते हैं नमस्कार पहुंचे॥ (याकूब 01:01)

#23. याकूब क्रोध में कैसा होना चाहिये कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो। (याकूब 01:19)

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