Masih Jeevan

यीशु मसीह की पहिचान एवं सामर्थ्य में बढ़ने के लिये सहायता

रोमियों अध्याय 12 प्रश्नोत्तरी प्रश्न और उत्तर | Romans Chapter 12 Quiz Questions And Answers

उत्पत्ति अध्याय 17 प्रश्नोत्तरी प्रश्न और उत्तर

मेरे प्रिय भाई और बहनों, हमारी गुजारिश है कि आप बाईबल क्विज अटेंड करने से पहले एक बार इस चैप्टर का अध्ययन जरूर कर लें। बाईबल क्विज के माध्यम से हमारा उद्देश्य आपको परमेश्वर के वचन को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना है ताकि आप परमेश्वर और उसके ज्ञान को जान और समझ सके। हमारा पूर्ण विश्वास है कि आप निश्चित रूप से आशीषित होंगे। कृपया नीचे दिए गए फिनिश ऑप्शन पर क्लिक करने से पहले सभी प्रश्न अटेंड करना अनिवार्य है। हम आपको शुभकामनाएं देते हैं।

 

#1. पौलुस रोमियों के विश्वासियों को जो अुगवाई करे वह कैसे अगुवाई करे कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- जो उपदेशक हो, वह उपदेश देने में लगा रहे; दान देनेवाला उदारता से दे; जो अगुआई करे, वह उत्साह से करे; जो दया करे, वह हर्ष से करे। (रोमियों 12ः08)

#2. पौलुस रोमियों के विश्वासियों को भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे से क्या रखो कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे से स्‍नेह रखो; परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो। (रोमियों 12ः10)

#3. जहां तक हो सके हम भरसक सब लोगों के साथ क्या रखना है ?

उत्तर का संदर्भ:- जहाँ तक हो सके, तुम भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो। (रोमियों 12ः18)

#4. पौलुस रोमियों के विश्वासियों को किस काम में नित्य लगे रहो कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- आशा में आनन्दित रहो; क्लेश में स्थिर रहो; प्रार्थना में नित्य लगे रहो। (रोमियों 12ः12)

#5. पौलुस रोमियों के विश्वासियों को जो दया करे वह कैसे दया करे कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- जो उपदेशक हो, वह उपदेश देने में लगा रहे; दान देनेवाला उदारता से दे; जो अगुआई करे, वह उत्साह से करे; जो दया करे, वह हर्ष से करे। (रोमियों 12ः08)

#6. पौलुस रोमियों के विश्वासियों को तुम्हारी आत्मिक सेवा क्या है कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- इसलिये हे भाइयो, मैं तुम से परमेश्‍वर की दया स्मरण दिला कर विनती करता हूँ कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्‍वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ। यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है। (रोमियों 12ः01)

#7. पौलुस रोमियों के विश्वासियों को हम जो बहुत हैं, मसीह में एक देह होकर आपस में क्या है कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- वैसा ही हम जो बहुत हैं, मसीह में एक देह होकर आपस में एक दूसरे के अंग हैं। (रोमियों 12ः05)

#8. पौलुस रोमियों के विश्वासियों को किन लोगों को जो कुछ आवश्यक हो, उसमें उनकी सहायता करो कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- पवित्र लोगों को जो कुछ आवश्यक हो, उसमें उनकी सहायता करो; पहुनाई करने में लगे रहो। (रोमियों 12ः13)

#9. पौलुस रोमियों के विश्वासियों को किस काम में एक-दूसरे से बढ़ चलो कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे से स्‍नेह रखो; परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो।  (रोमियों 12ः10)

#10. पौलुस रोमियों के विश्वासियों को तुम्हारा प्रेम कैसा हो कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- प्रेम निष्कपट हो; बुराई से घृणा करो; भलाई में लगे रहो। (रोमियों 12ः09)

#11. पौलुस रोमियों के विश्वासियों को किसमें स्थिर रहो कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- आशा में आनन्दित रहो; क्लेश में स्थिर रहो; प्रार्थना में नित्य लगे रहो। (रोमियों 12ः12)

#12. हमें बदला क्यों नहीं लेना चाहिए ?

उत्तर का संदर्भ:- हे प्रियो, बदला न लेना, परन्तु परमेश्‍वर के क्रोध को अवसर दो, क्योंकि लिखा है, “बदला लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूँगा।” (रोमियों 12ः19)

#13. पौलुस रोमियों के विश्वासियों को किसमें भरे रहो कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- प्रयत्न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरे रहो; प्रभु की सेवा करते रहो। (रोमियों 12ः11)

#14. पौलुस जिसको सेवा करने का दान मिला हो, तो वह क्या करे कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- यदि सेवा करने का दान मिला हो, तो सेवा में लगा रहे; यदि कोई सिखानेवाला हो, तो सिखाने में लगा रहे; (रोमियों 12ः07)

#15. पौलुस रोमियों के विश्वासियों को किसमें आलसी न हो कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- प्रयत्न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरे रहो; प्रभु की सेवा करते रहो। (रोमियों 12ः11)

#16. पौलुस जिसको भविष्यद्वाणी का दान मिला हो, वह कैसे भविष्यद्वाणी करे कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- जबकि उस अनुग्रह के अनुसार जो हमें दिया गया है, हमें भिन्न–भिन्न वरदान मिले हैं, तो जिसको भविष्यद्वाणी का दान मिला हो, वह विश्‍वास के परिमाण के अनुसार भविष्यद्वाणी करे; (रोमियों 12ः06)

#17. पौलुस रोमियों के विश्वासियों को किससे घृणा करो कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- प्रेम निष्कपट हो; बुराई से घृणा करो; भलाई में लगे रहो। (रोमियों 12ः09)

#18. पौलुस रोमियों के विश्वासियों को किन्हें आशीष दो कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- अपने सतानेवालों को आशीष दो; आशीष दो स्राप न दो। (रोमियों 12ः14)

#19. पौलुस रोमियों के विश्वासियों को दान देनेवाला कैसे दान दे कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- जो उपदेशक हो, वह उपदेश देने में लगा रहे; दान देनेवाला उदारता से दे; जो अगुआई करे, वह उत्साह से करे; जो दया करे, वह हर्ष से करे। (रोमियों 12ः08)

#20. पौलुस रोमियों के विश्वासियों को तुम में से हर एक से कहता हूँ कि जैसा समझना चाहिए उससे बढ़कर कोई भी अपने आप को न समझे, पर कैसे समझना चाहिए कहा ?

उत्तर का संदर्भ:- क्योंकि मैं उस अनुग्रह के कारण जो मुझ को मिला है, तुम में से हर एक से कहता हूँ कि जैसा समझना चाहिए उससे बढ़कर कोई भी अपने आप को न समझे; पर जैसा परमेश्‍वर ने हर एक को विश्‍वास परिमाण के अनुसार बाँट दिया है, वैसा ही सुबुद्धि के साथ अपने को समझे। (रोमियों 12ः03)

#21. पौलुस रोमियों के विश्वासियों को आनन्द करनेवालों के साथ क्या करने के लिये प्रोत्साहन देते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- आनन्द करनेवालों के साथ आनन्द करो, और रोनेवालों के साथ रोओ। (रोमियों 12ः15)

#22. पौलिस रोमियों के विश्वासियों को इस संसार के सदृश न बनो, परन्तु तुम्हारे मन के नए हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी क्यो बदलता जाए कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारे मन के नए हो जाने से तुम्हारा चाल–चलन भी बदलता जाए, जिससे तुम परमेश्‍वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो। (रोमियों 12ः02)

#23. पौलुस रोमियों के विश्वासियों को रोनेवालों के साथ क्या करने के लिये प्रोत्साहन देते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- आनन्द करनेवालों के साथ आनन्द करो, और रोनेवालों के साथ रोओ। (रोमियों 12ः15)

#24. पौलुस रोमियों के विश्वासियों को किनके साथ संगति रखो कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो, परन्तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्‍टि में बुद्धिमान न हो। (रोमियों 12ः16)

#25. पौलुस रोमियों के विश्वासियों को अपनी दृष्टि में क्या न हो कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो, परन्तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्‍टि में बुद्धिमान न हो। (रोमियों 12ः16)

#26. पौलुस रोमियों के विश्वासियों को किसमें आनन्दित रहो कहते हैं ?

उत्तर का संदर्भ:- आशा में आनन्दित रहो; क्लेश में स्थिर रहो; प्रार्थना में नित्य लगे रहो। (रोमियों 12ः12)

Previous
Finish

Results

Congratulation…! You are Passed

Sorry…! Better Luck Next Time

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *